संस्था का परिचय

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विश्वभारती अनुसंधान परिषद् , ज्ञानपुर (भदोही) उत्तर प्रदेश की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विद्वान डाo कपिल देव द्विवेदी द्वारा विजयादशमी सम्वत 2028 विक्रम (29 सितम्बर 1971) को की गई थी| संस्था का मुख्य उद्देश्य है संस्कृत वाङ्मय का प्रचार और प्रसार, वैदिक साहित्य के दुर्लभ ग्रन्थों का सम्पादन और प्रकाशन, संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति से सम्बद्ध विषयों पर अनुसन्धान|

डाo कपिल देव द्विवेदी संस्था के स्थापना काल से इसके निदेशक रहे| आपने परिषद् द्वारा अपनी महत्वपूर्ण योजना “वेदामृतम् – ग्रन्थमाला” का प्रकाशन परिषद् से किया | वेदामृतम् – ग्रन्थमाला द्वारा वेदों का सम्पूर्ण ज्ञान जन सामान्य तक पहुंचाया| परिषद् द्वारा अनेक शोधग्रन्थ, काव्यग्रन्थ तथा विविध ग्रन्थों का निरंतर प्रकाशन किया जा रहा है|

जीवन परिचय

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संस्कृत एवं आर्य जगत के अन्तर्राष्ट्रीय विद्वान डॉ० कपिलदेव द्विवेदी का जन्म गहमर (गाज़ीपुर) के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। आपके बाबा श्री छेदीलाल जी प्रसिद्ध उद्योगपति थे। आपके पिता श्री बलरामदास जी और माता श्रीमती वसुमती देवी थीं। आपके पिता एक त्यागी, तपस्वी और समाजसेवी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन देशसेवा में समर्पित कर रखा था। आपके पिताजी और माताजी स्वतंत्रता संग्राम-सेनानी थे। वे तीन बार कांग्रेस के आन्दोलन में जेल गए। डॉ० द्विवेदी जी का जन्म 6 दिसम्बर 1918 को हुआ। आपके पिताजी ने आपके जन्म से पहले दो निर्णय लिए थे कि बालक का नाम कपिलमुनि के नाम पर कपिलदेव रखा जाएगा और उसे शिक्षा के लिए गुरुकुल भेजा जाएगा। पूर्व निर्णय के अनुसार बालक का नाम कपिलदेव रखा गया और कक्षा 4 तक अध्ययन के बाद गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर, हरिद्वार में संस्कृत की उच्च शिक्षा के लिए भेजा गया।

सम्मान, अभिनन्दन एवं पुरस्कार

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डॉ० कपिलदेव द्विवेदी की रचनाएं

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